विन्शोत्तरी
दशा के
परिणामों हेतु सामान्य
नैयाँ तो सभी
जानते हैं पर
कुछ ग़ूढ और
कठिन नियमों को
या तो लोग
जानते नहीं या
इस लिए जानना
नही चाहते की
वे थोड़े से
कठिन हैं ! इनके
लिए अभ्यास की
आवश्यकता है !
तो नोट बुक
और पेन साथ
रखें और इन
इनियमों को प्रयोग
करें और परिणाम
देखें ! आज भाग
1
* किसी ग्रह या
भाव से कोई
ग्रह दशम स्थान
मे हो तो
यह समझना चाहिए
कि उक्त ग्रह
पर दशम भाव
मे स्थित ग्रह
का प्रभाव है
! उतना ही प्रभाव
जितना की दृष्टि
डालने से होता
है !
*वक्री ग्रह द्वादश
अष्टम और छठे
घर में प्रभावी
हो जाते हैं
! पंचमेश वक्री होकर यदि
द्वादश मे है
तो एक या
दो पुत्र अवश्य
देगा !
*कोई ग्रह जिस भाव
मे स्थित है उसका ज़्यादा फल देगा और वह जिसका स्वामी है उसका कम !
*ग्रह जिस भाव मे होता
है अपनी दशा में उस भाव का फल तो देता ही है पारंतु उस ग्रह के नक्षत्र तथा नवांश में
जो ग्रह स्थित होता है उसकी दशा मे भी संबंधित ग्रह जो वाहा बैठा है उसका भी फल प्राप्त
होता है !
*उसी प्रकार उस भाव
के स्वामी के नक्षत्र अथवा नवांश मे जो ग्रह स्थित है उसकी दशा अंतरदशा मे भी संबंधित
भाव का फल प्राप्त होता है !...... जारी